आउनुहोस सधैँझैँ यसपाली पनि नयाँ चौतारीमा थकाई मारौँ मायापिरती साटौँ, हाँसो ठट्टाले यो दुईदिने जीवनलाई उल्लासमय बनाउँ! मिठो मिठो खाउँ र खुसि रहौँ!
यो चौतारीको डिलबाट सुटुक्क पारीपट्टि चिहाउँदा...आहा! कस्तो मनै आनन्दित तुल्याऊने दृष्य!!त्यो पाखा, त्यो बारी, त्यो पाठशाला, त्यो पसल, त्यो गैह्रो, त्यो लाँकुरी.... कठै त्यो मेरो गाउँ!!
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रिठे काणा- "गन्नुभाई! वो चौतारीका झक्कास न्यूज बोले तो खबर ले के आया है अपुन!"
गन्नुभाई- "क्योँ रे? कोई लाँटरी लगगेला क्या चौतारीके पब्लिक लोगको?"
रिठे काणा- " भाई कोई लाँटरीसे कम नक्को!"
गन्नुभाई- "अबे बुझरेले आरती, कुछ बकेका भि या सिर्फ टाँय टाँय करतारहेंगा?"
रिठे काणा- "भाई वो पुनटे पंगा है न, लगता है यो सठियागेला है!"
गन्नुभाई- "अबे मरेले साँपके फटेले बिन, पुनटे पंगा सठियागेला तो काहेकु लाँटरी लगनेवालि बात हुई वो तो पेलेसे हि कुछ वैसाईच था?"
रिठे काणा- "भाई वो पहलेसे भि ज्यादा सठियागेला है, बोले तो रातके टेमपे चौतारीपे मररेले शेरके माफिक दडाडमारता है, दिनके टेमपे बाटलि लगाके गाना गाता है, और तो और अपनाईच बचेले खुचेले बाल नोच नोचके खारेला है!"
रिठे काणा- " भाई हेँख हेँख हेँख, अब उसके बाद तो अपुनकाईच नम्बर आनेका है न। वो लुढकगया तो उसके बाद अपुनिच है जिसका सरपे बाल नक्को! अपुन भि एरियाका डान बननेका चान्स है न भाई!"
गन्नुभाई- " अबे छिपकलिके पानीमे गिरे दुम, मेरे दिमागका दही मत कर्, अगर उसके बाद भि तेरा नम्बर आया न तो तु हि लुढकेगा!"
रिठे काणा- " भाई आप भि, अपुन दुसरा खबर भि लाएला है?"
गन्नुभाई- "दुसरा क्या? "
रिठे काणा- "भाई वो अपुनका सैरियल लंगडा है न, भाई उसको एक आइटम मिलगेली है!"
गन्नुभाई-"तो?"
रिठे काणा- "भाई वो बोलरेला था कि, आप कि ऐसि कि तैसि, वो तो अब दुबईमे जा के आइटमके साथ सेटल होनेका बोलरेला था!"
गन्नुभाई- " ऐसा बोला वो नासपिटे मेरेकु? मेरे ऐसि कि तैसि बोला वो किचडपे गिरे सडेली आलु? तु आईटमका पता कर कहिँ अपुनईचका कोइ छोकरी तो नहिँ फँसाया नासपिटे ने?अपुन दुबईमे भाईको फोन लगाता है! और हर्के रंगिलाको बोल कि बड्डावाला घोडा तयार रखने का, अपुन पेले उसको पुछेंगा, और मेरेकि ये भि मालुम है कि उसको इस जनममे कोई आइटम मिलनेका चानस नक्को! तु झुठ बोलरेला है! आज तेरेहि घोडेसे तेरे हि बाट लगेंगा! चापलुसि माररेला था न, अब उपर जा के यमराजकि चापलुसि करनेका!"
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