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 advantages of TULSI तुलसी
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Posted on 08-19-15 10:01 AM     Reply [Subscribe]
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तुलसी के महत्व बारे कहा गया है:-

"तुलसी काननं चेव चृहे यस्याव तिष्ठते ।
तदगृह तीर्थ भूतं हि नायान्ति यम किंकरा ।।
तुलसी विपिनस्यापि समन्तात पावनं स्थलम ।
क्रोशमात्र भवत्येव गांगेयनेव चामंभसा ।।"

अर्थात जिस धर में तुलसी होती है वह तीर्थ स्थल होता है और वहाँ यमराज के दूत नही प्रवेश करते ।जो स्वास्थ्य लाभ हेतु रोगी गंगा जी के तट पर नहीं जा सकते, वे तुलसी वन में रह कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।

'अकाल मृत्यु हरणं सर्वव्याधि विनाशनम ।
विष्णु पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्धते ।।'

महादेव जी द्वारा तुलसी का यशोगान:-

रूद्राक्ष पहनने से और आंवला खाने से, मगर तुलसी एक ऐसा श्रेष्ठ वृक्ष है जिस का पत्ता और फूल भी मोक्ष प्रदान करने वाला है ।
महादेव जी तुलसी का गुणगान करते हुए कहते हैं कि वह सब लोकों में श्रेष्ठ तथा भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है ।

तुलसी दल से भगवान के पूजन का फल:-

भोले शंकर बताते हैं कि जिसने तुलसी दल के साथ पूर्ण श्रद्धा सहित प्रतिदिन भगवान विष्णु का पूजन कर लिया उसने दान, होम, यज्ञ, व्रत सब कर लिया ।तुलसी दल से भगवान विष्णु कि पुजा कर लेने पर कांती, सुख, भोग सामग्री, यश, लक्ष्मी, श्रेष्ठ कुल, शील, पत्नी, पुत्र, कन्या, धन, राज्य, ज्ञान, विज्ञान, शास्त्र, पुराण, तंत्र और संहिता ये सब कुछ उसकी हथेली पर होते हैं ।

प्रेतों, पिशाचों, भूतों की शमन कर्तृ:-

शिव शंकर बताते है कि प्रेत, पिशाच, कूष्माण्ड, दैत्य, ब्रह्म राक्षस, आदि तुलसी वृक्ष से दूर भागते हैं ।

"पुजन कीर्तने रोपणे धारणे कौल ।
तुलसी दहते पापं, स्वर्गं मोक्षेददति च ।।
उपदेशं ददेदस्याः स्वयमाचरते पुनः ।
स याति परमं स्थान माध्वस्य निकेतनम् ।।"

तुलसी का बगीचा लगाने का फल:-

महादेव जी कहते है कि जिसने पृथ्वी पर तुलसी का बगीचा लगा रखा है, उसने उत्तम दक्षिणाओं से युक्त 100 यज्ञों का विधिवत अनुष्ठान पूर्ण कर लिया है ।

तुलसी की सेवा से पुरखे तर जाते है:-

कोमल तुलसी दल से नित्य प्रति श्री हरी की पूजा करने से मनुष्य की अनगिनत पीढ़ियां तर जाती है ।

तुलसी पूजन की विधि:-

सुबह सवेरे स्नान करके तुलसी वृक्ष को शुद्ध जल चढाएं । धूप दीप से पूजा अर्चना करें । आरती उतारें । सायंकाल धूप दीप करें ।पानी मत दें । आरती उतारें । पत्ते केवल प्रातः तोडें सायं को नहीं । रविवार, संक्रांति, द्वादशी, अमावस्या को तुलसी तोड़ना वर्जित है ।


 


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